रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये
रातभर चाँद देखा किये
कभी हाथ से ढका चाँद को
कभी बादलों से उठाया भी
गदेली पर रखकर उसे
कभी होंटों तक लाया भी
रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये…
सितारे टूटते बुझते रहे
उनसे तुम्हें माँगते रहे
ख़ाली था ख़ामोश था लम्हा
हम तेरा नाम लिखते रहे
रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये…
रूह बर्फ़ में जलने लगी
साँस-साँस पिघलने लगी
तेरी तस्वीर देखकर
तन्हाई मसलने लगी
रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये…
सन्नाटों में बहता रहा
ख़ामोशी से कहता रहा
तुम कहाँ अब कैसी हो
मैं कोहरे सहता रहा
रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
16 replies on “रातभर चाँद देखा किये”
सितारे टूटते बुझते रहे
उनसे तुम्हें माँगते रहे
ख़ाली था ख़ामोश था लम्हा
हम तेरा नाम लिखते रहे
रातभर चाँद देखा किये
just apratim,no words to say more…….bahut khubsurat ehsas
सन्नाटों में बहता रहा
ख़ामोशी से कहता रहा
तुम कहाँ अब कैसी हो
मैं कोहरे सहता रहा
” fantastic…”
regards
कभी हाथ से ढका चाँद को
कभी बादलों से उठाया भी
गदेली पर रखकर उसे
कभी होंटों तक लाया भी
भाई इन शब्दों ने लाजवाब कर दिया…बेहतरीन रचना…वाह.
नीरज
bahut sundar likhate hain aap.
सन्नाटों में बहता रहा
ख़ामोशी से कहता रहा
तुम कहाँ अब कैसी हो
मैं कोहरे सहता रहा
विनय भाई इन लईनो ने तो मुझे ठिठुरने पे मजबूर कर दिया बहोत ही उम्दा लिखा है आपने .
विनय जी बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आप ने हर लाईन बहुत कुछ कहती है.
धन्यवाद
प्रिय विनय जी,
आपकी कविता में छटपटाहटों की आहटें रचनात्मक राहत देती हैं।
शुभकामनाएं एवं लवस्कार
@अशोक चक्रधर साहब आप जैसे विद्वान ने मेरी प्रशंसा में मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी दी, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ। मैं आज बहुत ही प्रसन्न हूँ कि आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और मेरी रचना को पढ़ा, अपना स्नेह मुझे देते रहें। आपको चरण स्पर्श। मैं इतना ही कहूँगा मैं शुरूआती समय से ही आपका प्रशसंक रहा हूँ और रचनाओं से सुखद अनुभव प्राप्त किये हैं। छोटी-सी आशा धारावाहिक में आपको देखा था, वह मेरा बहुत प्रिय था! कभी एक कड़ी नहीं छोड़ी! आपको नववर्ष की हार्दिक बधाई।
Good poem
२००९ के आगामी नव वर्ष मेँ सुख शाँति मिले ये शुभ कामना है
– लावण्या
नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.
वाह वाह नज़र साहब, क्या कहना !
रातभर चाँद देखा किये
माज़ी में उड़ रहीं थीं
तेरी यादें समेटा किये
बहुत ऊंचे ख़्याल की ग़ज़ल कही !
और लीजिए आपकी तरफ़दारी में अर्श भाई के ब्लाग पोस्ट (१७.१२.२००८) पर एक शेर कह आया था सो आप भी मुलाहिजा फ़रमाएं ज़रा —
“नज़र” में मिरी “अर्श”, ये दुनिया-ए-फ़ानी
है मिसरा-ए-ऊला, है मिसरा-ए-सानी
उनके ब्लाग पर ऊला को उला कह आया हूं, आप यहां मुआफ़ रखिएगा ।
अपने सभी पाठकों का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ कि वह सदैव अपना स्नेह बनाये रखें बवाल जी बहुत-बहुत शुक्रिया कि आप ने मेरी तारीफ़ इतना आला शे’र कहा! आप सभी को नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आप सबके लिए कल्याणकारी हो।
नव वर्ष की शुभ कामनायें आपकी कलम को बल और गति मिले
रूह बर्फ़ में जलने लगी
साँस-साँस पिघलने लगी
तेरी तस्वीर देखकर
तन्हाई मसलने लगी
बहुत ख़ूब।
नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामानाएं।
निर्मला और महावीर जी, नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आपके लिए कल्याणकारी हो।
सर, बहुत बढ़िया ।
क्या इसको किसी ने गाया भी है?
सिंगर,आलबम का नाम बताने की कृपा करे।