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मेरा गीत

सारा-सारा दिन मैं तुम्हें याद करता हूँ

सारा-सारा दिन मैं तुम्हें याद करता हूँ
यह सच है मैं तुमसे प्यार करता हूँ
तुम सदा रहो मेरे साथ इन राहों पर
यह दुआ करता हूँ…

बादलों में, बारिशों में
बसों में, ट्रेनों में
सभी जगह मैं तुम्हें खोजता हूँ
सभी जगह मैं तुम्हें खोजता हूँ
मैं तुम्हें याद करता हूँ
मैं तुम्हें चाहता हूँ
यह सच है मैं तुम्हें याद करता हूँ
इन राहों पर…

मैं क्या ख़ुद के लिए कर सकता हूँ
तुम लौट आओ और मुझको सँभालो
कहो, तुम इतनी दूर क्यों गयी हो?
लौट आओ, यह दुआ करता हूँ…

शीत का मौसम जा चुका है
यह सच है मैं तुमसे प्यार करता हूँ
तुम सदा रहो मेरे साथ इन राहों में
यह दुआ करता हूँ…

कोई मुझको नहीं समझता
पागलों की तरह तुम्हें हूँ चाहता
मैं प्यार की गहराइयों में हूँ
पश्चिम की हवाओं का झोंका
मुझे बेबस कर देता है
तुम लौट आओ और मुझको सँभालो
इन राहों पर…

सारा-सारा दिन मैं तुम्हें याद करता हूँ
यह सच है मैं तुमसे प्यार करता हूँ
तुम सदा रहो मेरे साथ इन राहों पर
यह दुआ करता हूँ…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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