बहारों का मौसम
शाख़ों पर खिलने लगा है
मज़िलों की बेताबी का
चाँद अब दिखने लगा है
सफ़र बहुत तवील है
और लम्हें मुख़्तसर…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००-२००१
बहारों का मौसम
शाख़ों पर खिलने लगा है
मज़िलों की बेताबी का
चाँद अब दिखने लगा है
सफ़र बहुत तवील है
और लम्हें मुख़्तसर…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००-२००१
2 replies on “सफ़र बहुत तवील है”
bahut badhiya,.see i used the dic today,so safar is long nd lamhe r short.
@ mehhekk
it’s great… you’re using dictionary.