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मेरा गीत

सूखे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह

सूखे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
मेरी यादों की किताब में तुम जी रही हो
तुम जी रही हो…
जाने कैसे मुझसे बिछड़ के तन्हा जी रही हो

मैं अपने तन्हा टूटे दिल में
तुमको रोज़ बहुत बहुत क़रीब महसूस करता हूँ
ऐसा पहले कभी न महसूस हुआ
जैसा कि मैं अब महसूस करता हूँ
यह मोहब्बत का एहसास है
केवल तुम्हारे लिए…

क्या तुम इसको महसूस करती थी
क्या तुम इसको महसूस कर सकती हो
कुछ तो कहो मेरे लिए मेरी मोहब्बत
क्यों तुम इतनी दूर रहती हो…

इस बंधन को जोड़ दो तुम
इन रस्मों को तोड़ दो तुम
मेरी मुहब्बत, मेरी मेहबूबा…

यह मोहब्बत क्या होती है?
आज से पहले मैं इससे अंजान था
तेरा चेहरा जैसे खिलती हुई नई सुबह
इसलिए मैं तुमको महसूस करता हूँ
जब सुबह-सुबह पुरवाई बहती है…

जब भी कभी तुम आओगे
इन गलियों में मुझको पाओगे
अब ये तुम पर है
कितना मुझे तुम तड़पाओगे

सूखे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
मेरी यादों की किताब में तुम जी रही हो
तुम जी रही हो…
जाने कैसे मुझसे बिछड़ के तन्हा जी रही हो

मौसमी पेड़ों की शाख़ों पर
गुलाबी गुल खिलाता है मौसम
बस तेरी यादों में
अपनी रातें बिताते हैं हम
तेरा चेहरा है आँखों में बसा
तूने ही इस बेरंग में रंग भरा

तुम आवाज़ दो तो सही
मैं तुम्हारी इक आवाज़ पे दौड़ा चला आऊँगा
कुछ तो कहो मेरे लिए मेरी मोहब्बत
क्यों तुम इतनी दूर रहती हो

इस बंधन को जोड़ दो तुम
इन रस्मों को तोड़ दो तुम
मेरी मुहब्बत, मेरी मेहबूबा…

सूखे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
मेरी यादों की किताब में तुम जी रही हो
तुम जी रही हो…
जाने कैसे मुझसे बिछड़ के तन्हा जी रही हो


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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