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मेरी ग़ज़ल

तदबीर

न अब कोई सितम मेरी महब्बत में हो
है जो असली मज़ा वह तेरी सोहबत में हो

है जो दिन-रात राहत मुझे सो तुमसे है
बचा लेना तुम गर दिल मेरा मुसीबत में हो

छेड़-छाड़ ज़रूरी है कभी-कभी इख़लास में
थोड़ा बहुत रंग यह भी तबीयत में हो

तर लहू से ख़त मैं भी कभी तुमको लिखूँ
गर इस तरह ही दिल तेरा राहत में हो



शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “तदबीर”

आपका ब्लोग बहुत अच्छा है, पर क्या यह नारद , ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत पर पंजीकृत है. अगर नहीं है तो कराएँ और अगर है तो उनका लोगो लगाएं. वहाँ आपको पता और मित्र दोनों मिलेंगे. मेरी शुभकामनाएं
दीपक भारतदीप

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