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मेरा गीत

तन्हाई में भी हम दोनों साथ हैं

तन्हाई में भी हम दोनों साथ हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं

वह पहली शाम जब देखा था तुम्हें
मैं आज तक भूला नहीं हूँ
वह पहली झलक’ वह पहली हँसी
मैं आज तक भूला नहीं हूँ

दूर होकर भी हम-दोनों साथ हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं

तुम जो आती थी’ तुम जो जाती थी
जैसे उड़ते बादलों में चाँद छिपता है
आती है बहुत तेरी याद मुझे
जब उड़ते बादलों में चाँद छिपता है

उलझे हुए दोनों के जज़्बात हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं

तुम याद आती हो मुझे इस तरह
मैं ख़ुद को भी भूल गया हूँ
तेरे सपनों में खोया हूँ आठों पहर
सारा ज़माना भूल गया हूँ

दो अन्जान मुसाफ़िर जो साथ हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

12 replies on “तन्हाई में भी हम दोनों साथ हैं”

दूर होकर भी हम-दोनों साथ हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं

वाह जी वाह विनय जी आपकी कविताओं और गजलों में काफी दम होता है पढने के लिए मजबूर कर देते हो बहुत अच्‍छा

दो अन्जान मुसाफ़िर जो साथ हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं

bahot khub vinay bhai sahab …bahot sundar…

उलझे हुए दोनों के जज़्बात हैं
यूँ लगता है मानो हाथों में हाथ हैं
बहुत सुंदर!

सबसे पहले तो महवीर जी को मेरा नमन की वे मेरे चिट्ठे तक आये… अपने मित्रों का तो मैं सदा धन्यवाद करता हूँ! अपना प्रेम निरन्तर बनाये रखें!

तुम याद आती हो मुझे इस तरह
मैं ख़ुद को भी भूल गया हूँ
तेरे सपनों में खोया हूँ आठों पहर
सारा ज़माना भूल गया हूँ
बहुत सुंदर……

अभी अभी आपकी १४.११. ०८ के शे’र पर टिप्पणी लिखी है लेकिन यह नज़्म अब दुबारा पढ़ी।
जो आप ‘दुआ’ की बात कर रहे थे, उसका जवाब तो आपने पहले ही इस ख़ूबसूरत
नज़्म में दे दिया है।
“तन्हाई में भी हम दोनों साथ हैं” –
साफ़ है कि शादी, जिस्मानी मिलन या रूबरू होने की प्यार में ज़रूरत कहां है।
रचना बहुत अच्छी लगी। आप निस्सन्देह ही बड़े भावुक हैं, इसी लिए जज़्बातों
के इज़हार में एक ‘दर्द’ सा महसूस होता है जिससे रचना दिल को छू जाती है।

@ महावीर जी आप मेरी रचनाएँ पढ़ने में आनन्द ले रहे हैं यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है और मेरे मानसिक स्तर को भी समझ रहे हैं यह बात मुझे भा गयी! मैं आपसे उम्र में बहुत छोटा हूँ आशा है कि आप जैसे विद्वान से कुछ सीखने को मिलेगा!

tanhayi mein jab koi saath nibhata hai
dur hokar bhi pass najar aata hai
lakh gere badal suraj ko
phir bhi wo apni kirne
boondo ke roop me barshata hai,
kuch bhi ho lekin jab koi yado ke saath aata hai
to bas dil mein purani yaadon ke
kitne gam de jata hai
sorry my teacher, but i am not chiter

VINAY JI MAIN APNE BLOG KO LOGO TAK KAISE POST KAROON
BATA DIJIYE PL’S MERA BLOG ASHWANIDEV.BLOG SPOT HAI MUJHE MAAF KARAN MAIN AAP SE BAHUT CHHOTA HOON AUR TAJURBE MAIN BHI CHHOTA HOON SORRY…MERI GALTIYON KO BHI BATA TE RAHIYE GA THANK’S

यार मुझे तुम्हारा ब्लॉग तो नहीं मिला, लेकिन अगर इसे तुम लोगों तक पहुँचाने की सोच रहे हो तो ब्लॉगवाणी और चिट्ठाचर्चा पर जोड़ दो!

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