तेरा चेहरा मेरे प्यार की तस्वीर है
तू मोहब्बत है मेरी
या फिर साँसों की ज़ंजीर है
जब तुझे देखा सनम मुझे ऐसा लगा
जैसे मिली हर ख़ुशी
मैंने पायी हर ग़म की दवा
तेरा चेहरा मेरे प्यार की तस्वीर है
तू मोहब्बत है मेरी
या फिर साँसों की ज़ंजीर है
वक़्त रुकता नहीं चलता नहीं
यह नज़र क्या तुमसे मिली
तब से तेरा दीवाना हुआ मैं
सच है ख़ुद से बेग़ाना हुआ मैं
तू चाहे न चाहे मुझको
मैंने तुझे ही चाहा है…
तेरा चेहरा मेरे प्यार की तस्वीर है
तू मोहब्बत है मेरी
या फिर साँसों की ज़ंजीर है
तेरी ही चाहत है रग-रग में
तेरा ही प्यार है नस-नस में
तू चाहे तो मैं जाँ लुटा दूँ
तू चाहे तो ख़ुद को मिटा दूँ
यही है मेरी तमन्ना
तुझको अपना बना लूँ…
तेरा चेहरा मेरे प्यार की तस्वीर है
तू मोहब्बत है मेरी
या फिर साँसों की ज़ंजीर है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
One reply on “तेरा चेहरा मेरे प्यार की तस्वीर है”
very nice poem, u write much better it’s brilliant sense.