तेरी चुप निगाहें व शर्मायी नज़रें
तेरे प्यार का तोहफ़ा हैं, मेरे लिए
एक बार तो कुछ कह दे सनम
तू एक बार तो हाँ कर दे मुझसे
ज़िन्दगी एक झमेला है मेरे लिए
तेरी मुस्कुराहटें तेरी सादी अदाएँ
तेरे प्यार का तोहफ़ा हैं मेरे लिए
परियों से भी कहीं ज़्यादा हसीं
खिलती कलियों-सी तू माहजबीं
ख़ुदा ने तुझे बनाया है मेरे लिए
तेरे सारे शिकवे वह सभी यादें
तेरे प्यार का तोहफ़ा हैं मेरे लिए
मुझे तेरा इन्तिज़ार था बरसों से
हम एक-दूजे के बने जनमों से
तुमने जनम लिया है मेरे लिए
आँखों में माहताब-सा चमकता है
तेरा चेहरा, तेरा चेहरा, तेरा चेहरा
मैं सहराँ-सहराँ भटकता हूँ तेरे लिए
तू एक बार तो हाँ कर दे मुझसे
ज़िन्दगी एक झमेला है मेरे लिए
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
2 replies on “तेरी चुप निगाहें”
all lines r awesome,great
Subhan Allah
Its really very fine