तुमको मैंने दिल दिया है
यह जाँ भी दे दें… कह दो…
अरमानों के फूल खिले हैं
तुम पे बरसा दें… कह दो…
तुमको अजनबी रास्तों में
अपना हमसफ़र बना लें
मेरा जीना मरना तुमसे
ख़ुद को मिटा दें… कह दो…
चेहरे पर हया रहने दो
चाँद पे बादल उड़ने दो
बेचैन धड़कनें रवाँ-रवाँ
यह शाम बुझा दें… कह दो…
लोगों के कहने पर मत जा
मुझको और ना तड़पा
यह प्यार ख़त्म न होगा
ख़ुद को भुला दें… कह दो…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४