तुमको न पाया तो खोया भी कुछ नहीं
पत्थर है दिल मेरा नहीं सच नहीं
मुझको यक़ीं ख़ुद पे नहीं है सनम
दूर रहके तू मुझसे नहीं ख़ुश नहीं
खोया होता जब मैंने तुझे पाया होता
खोने-पाने पर किसी का कोई वश नहीं
जो इश्क़ बचा हो आइनें में ज़रा भी
हम साथ होंगे दिन वह भी दूर नहीं
ख़फ़ा रहे तू मेरी किसी बात से अब
इस बात में रत्ती भर भी सच नहीं
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३