तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
दिल की सदा साँसों के सिलसिले
कहते हैं तुम मेरे हो तुम मेरे हो
यह तूफ़ान यह ऊँचा-ऊँचा आसमान
कहता है तुम मेरे हो तुम मेरे हो
तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
जलती है नस-नस में तेरी मोहब्बत
आते नहीं आँखों में अश्क क्योंकि
तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
दिल को लगी तेरी लगन, तरसते हैं
तेरे लिए मेरे यह दो नयन क्योंकि
तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
जाओ चाहे जहाँ भी तुम अलग नहीं
यह तुम्हारा दीवाना तुम्हें ढूँढ़ लेगा
तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
तेरी लकीरों से मेरी लकीरें जुड़ी हैं
तेरा शैदाई दिल में इश्क़ जगा देगा
तुम मेरे हो तुम मेरे हो तुम मेरे हो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९