तुम नहीं तो रंग नहीं होली में
नहीं सजता आलेखन रंगोली में
है दर्द में आज भी वही मज़ा
न है लुत्फ़ ग़ैर की ठिठोली में
इसमें क्या जाता, तेरा ख़ुदाया!
जो चंद ख़ुशियाँ होतीं मेरी झोली मेँ
मैं संजो रहा हूँ इक अधूरा ख़ाब
कि तुम आती मेरे घर डोली में
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४-२००५
4 replies on “तुम नहीं तो रंग नहीं होली में”
वाह वाह क्या चीज है
तुम नही रंग नही
हम नही रंग नही
होली की आपको मुबारकबाद
आपको एवं आपके परिवार जनों को होली के पावन अवसर पर ढेरों शुभकामनाएँ!
bahut khub holi ki badhai.
Thanks, MeheK… Happy Holi…