Categories
मेरा गीत

तुमने हमसे हमको चुराया

तुमने हमसे हमको चुराया
दिल में अपने हमको बसाया
हम कुछ दीवाने हो गये हैं
हाँ, दूर ख़ुद से हो गये हैं
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम

यह उड़ते बादल घिर जायें
बिजली ज़रा कड़क जाये
तू मेरी बाँहों में आकर के
मेरे सीने से सिमट जाये

यह बादल क्यूँ घिर आयें
और बिजली क्यूँ गिर जाये
हम तेरे ही तो हैं आख़िर
आके ख़ुद ही लिपट जायें

यह सच भी सच कर दो
दिल में है जो कुछ कर दो
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम

क्यूँ इस तरह मुस्कुराती हो
क्यूँ तुम मुझसे शरमाती हो
क्यूँ एक झलक देकर कहीं
आँखों से ओझल हो जाती हो

हम सामने जो आ जायें
दिल बेक़ाबू न हो जाये
इश्क़ में यह डर है हमको
हमसे भूल न हो जाये…

दिल को बेक़ाबू हो जाने दो
यह भूल भी हो जाने दो
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम
अपनी बाँहों में हमको छुपा लो सनम


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४ 

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “तुमने हमसे हमको चुराया”

Leave a Reply to kumkum19 Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *