आज दिल में फिर लौट आयी उम्मीदो-सहर है
मेरी आँखों में गीली खु़शबू है, हसीन मंज़र है
मैं अक़ीदतन इश्क़ में सर को झुका के खड़ा हूँ
आज उससे मुलाक़ात की उम्मीद है, ख़बर है
मेरे इश्क़ के चर्चे और पुरज़े हुए उसके हाथों
ये सब उसको खु़दा से दुआ में माँगने का असर है
रोज़े-अव्वल ही से उसकी तस्वीर ज़हन में बैठी है
ऐ दिल शहज़ाद ‘विनय’ उसका हुस्न है या क़हर है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’