उम्मीद है हम तुम मिलेंगे
उम्मीद है नये दीप जलेंगे
जब बसंत की धूप महकेगी
उम्मीद है दोनों दिल खिलेंगे
उम्मीद है ख़ुशी घर आयेगी
उम्मीद है तेरा ख़त लायेगी
जब कली से भँवरा मिलेगा
उम्मीद है ख़ुशबू बुलायेगी
उम्मीद है बादल बरसेंगे
उम्मीद है दो दिल तरसेंगे
जब रिमझिम से मन भीगेगा
उम्मीद है बदन महकेंगे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
3 replies on “उम्मीद है हम तुम मिलेंगे”
Beautiful poem! waise ummeed per hi duniya kayam hai!
thanks rewa, ummeid par duniya qaayam aur hamesha rahegii…
जब कली से भँवरा मिलेगा
उम्मीद है ख़ुशबू बुलायेगी”
sundar kalpna.