उसने हमसे कभी वफ़ा न की
और हमने भी तमन्ना न की
बहुत बोलते हैं सब ने कहा
सो आदत-ए-कमनुमा न की
बहुत आये बहुत गये मगर
जान किसी पर फ़िदा न की
उसने कही और हमने मानी
उसकी कोई बात मना न की
ख़ता-ए-इश्क़ के बाद हमने
फिर कभी यह ख़ता न की
बात थी सो दिल में रह गयी
सामने पड़े तो नुमाया न की
जिससे मुँह फेर लिया हमने
फिर कभी बात आइंदा न की
उम्मीद मर गयी सो मर गयी
वह बाद कभी ज़िन्दा न की
चोट दोस्ती में खायी है ‘नज़र’
किसी से नज़रे-आशना न की
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
7 replies on “उसने हमसे कभी वफ़ा न की”
जनाब! कुछ मजबूरियां रही होंगी …./
दर्द की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति।
bahut sundar gajal hai
जिससे मुँह फेर लिया हमने
फिर कभी बात आइंदा न की
” आह इतनी बेरुखी..’
Regards
आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया!
vinay ji ye bhi bahut khub hai . wah wah……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
thanks mahiraj jee