वफ़ाइयाँ मेरी तुझसे ये वफ़ाइयाँ
बेवफ़ाइयाँ मेरी ख़ुद से बेवफ़ाइयाँ
अजब कशमकश है तेरे प्यार में
जाने क्या होता है तेरे इंतज़ार में
परवान इश्क़ में जितना चढ़ता हूँ
सीढ़ियाँ हिज्र में उतनी उतरता हूँ
सचो-वहम का कुछ पता नहीं है
तन्हाई और दर्द का पता नहीं है
वफ़ाइयाँ मेरी तुझसे ये वफ़ाइयाँ
बेवफ़ाइयाँ मेरी ख़ुद से बेवफ़ाइयाँ
निगाहे-यार से मैं तख़लीक़ हुआ हूँ
ख़ुद ज़हन से मैं तक़लीफ़ चखता हूँ
तुझको मनाता तुझसे दूर बैठता हूँ
दिल में धुँध ख़ुद मग़रूर रहता हूँ
मुझको तीसरे-चौथे का पता नहीं है
तन्हाई है और दर्द का पता नहीं है
वफ़ाइयाँ मेरी तुझसे ये वफ़ाइयाँ
बेवफ़ाइयाँ मेरी ख़ुद से बेवफ़ाइयाँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
3 replies on “वफ़ाइयाँ मेरी तुझसे ये वफ़ाइयाँ”
अजब कशमकश है तेरे प्यार में
जाने क्या होता है तेरे इंतज़ार में
परवान इश्क़ में जितना चढ़ता हूँ
सीढ़ियाँ हिज्र में उतनी उतरता हूँ
सचो-वहम का कुछ पता नहीं है
तन्हाई और दर्द का पता नहीं है
वफ़ाइयाँ मेरी तुझसे ये वफ़ाइयाँ
बेवफ़ाइयाँ मेरी ख़ुद से बेवफ़ाइयाँ
bahut hi khubsurat bhavana ke saath likhi hai, awesome awesome kavita.
hi
hello Ganesh! and thanks Mehek Ji!