यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
हर पल तुमको मैंने प्यार किया
हर लम्हा तेरा इन्तिज़ार किया
चलते तो साथ में…
हम कहीं तुम कहीं, हम कहीं तुम कहीं
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
मुझे सपनों में जब तुम मिले
इन बहारों को तब गुल मिले
गया जो भी जाने दो…
हम सही तुम सही, हम सही तुम सही
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
हवा सर्द है, जल रहा बदन
तेरे-मेरे मन में लग गयी अगन
कह नहीं पा रहे…
कुछ भी कुछ सही, कुछ भी कुछ सही
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
यार तू ज़िन्दगी, यार मैं ज़िन्दगी
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९