Categories
मेरा गीत

यह दिल क्यूँ किसी का होना चाहे

यह दिल क्यूँ किसी का होना चाहे
जाये जाँ, जाये क्यों न जान ही
मगर यह दिल किसी का होना चाहे

जबसे मेरी उनसे नज़र मिली है
दिल को जैसे नयी मंज़िल मिली है
पहली बारिश में दिल भीगना चाहे

यह दिल क्यूँ किसी का होना चाहे
जाये जाँ, जाये क्यों न जान ही
मगर यह दिल किसी का होना चाहे

देखते रहना जी भरकर देखते रहना
जायें न जब तक उन्हें ताकते रहना
डूबना निगाहों में उनकी मेरा डूबना

चाहना उनको मौत आने तक चाहना
मौसम खिल जाये रंग जब घुल जाये
इन रंगों में दिल मेरा घुलना चाहे

यह दिल क्यूँ किसी का होना चाहे
जाये जाँ, जाये क्यों न जान ही
मगर यह दिल किसी का होना चाहे


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *