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मेरा गीत

यह मौसम है मस्त-मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त
अम्बर पे छायी काली घटा
सावन बरसे कर दे मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त

तन भीगेगा मन भीगने दे
मन भीगेगा तन भीगने दे
डोल-डोल जा झूम-झूम जा
गा रही रिया गा रहा जिया

गाये कोयलिया कुहू-कुहू
बोले पपीहरा पिहू-पिहू
सात सुरों में बंधी पायलिया
मन को कर दे मद्-मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त
अम्बर पे छायी काली घटा
सावन बरसे कर दे मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त

बाग़िया में कोंपल हैं फूले
पेड़ों की डालों पर डाले झूले
रंग चढ़ा है जोबन का
जो न उतरे कर दे मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त
अम्बर पे छायी काली घटा
सावन बरसे कर दे मस्त

यह मौसम है मस्त-मस्त
यह आलम है मस्त-मस्त


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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