मैं डोली लेने आऊँगा तुम दुल्हन बनकर रहना
मैं भी रस्ता देखूँगी ओ मेरे दिलबर सजना
प्यार हमारा जनम-जनम का, है ये नाता पुराना
ऐसे प्यार करेंगे दोनों की देखेगा आज ज़माना
हाथों में हाथ ले-ले सोणिए
मैं तेरी हूँ, ओ मेरे राँझणे
प्यार यह दो नज़राँ दाँ हो जाने दे
तेरे वास्ते मुझे सूली चढ़ जाने दे
ऐसी गल्लाँ फिर तुम न करना
मुझको को तो तेरे बिना मरना
मरना-वरना छोड़ ऐ सजनी
तू बस दरवाज़ा खुल्ला रखना
मैं डोली लेने आऊँगा तुम दुल्हन बनकर रहना
मैं भी रस्ता देखूँगी ओ मेरे दिलबर सजना
प्यार हमारा जनम-जनम का, है ये नाता पुराना
ऐसे प्यार करेंगे दोनों की देखेगा आज ज़माना
एक यह वादा कर ले सजनी
कि रब के माने कर ली मँगनी
मुझसे बाँध ले तू अब सारी रस्में
बाक़ी हैं सात यह फेरे कुछ क़समें
क़समें-रस्में मैं कुछ ना जानूँ
और किसी को कुछ ना मानूँ
कौन हैं अपने कौन पराये
बेमतलब बातों का क्या करना
मैं डोली लेने आऊँगा तुम दुल्हन बनकर रहना
मैं भी रस्ता देखूँगी ओ मेरे दिलबर सजना
प्यार हमारा जनम-जनम का, है ये नाता पुराना
ऐसे प्यार करेंगे दोनों की देखेगा आज ज़माना
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००-२००१