जब तक तेरी तमन्ना करेंगे जीते जायेंगे
वरगना दम तोड़ देंगे मर जायेंगे
तुमने जो कहा तो मर भी जाना है हमको
जन्नत में न लगा जी तो किधर जायेंगे
इश्क़ में बहुत सीमाब है दिल मेरा
कितना सहेंगे हम हद से गुज़र जायेंगे
तुम हो ख़ुश्बू और मैं मानिन्दे-गुल हूँ
तुम नहीं हो तो हम टूटकर बिखर जायेंगे
तुम मान लो मेरी बात को सच वगरना
साबित कर देने को हम ज़हर खायेंगे
जो तुमको चाहा है हमने पूरे दिल से
तुम नहीं आते इधर तो हम उधर आयेंगे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४