ख़ुशबू के बादल से रोया नहीं जाता
पानी की छींटों से भिगोया नहीं जाता
महकते रहते हैं आँखों में मगर
हसीन मंज़र डुबोया नहीं जाता
दर्द ही चमन है ऐ दिल अज़ीज़
ऐसी आँधी के तले सोया नहीं जाता
बाग़ के हर पौध पर फूल आ गये
तन्हा रंगों को संजोया नहीं जाता
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२