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मेरी ग़ज़ल

जब कोई आपको हम-सा मिले

जब कोई आपको हम-सा मिले हमसे बताइएगा
देखेंगे उसकी जल्वागरी हमसे मिलवाइएगा

हमने देखा है लोग मतलब परस्त होते हैं
आप ख़ुद को मतलब परस्तों से बचाइएगा

बड़ी मीठी होती है अय्यारी यहाँ ख़ुदगरज़ों की
पेश बहुत चालाक ऐसे अय्यारों से आइएगा

हमने ज़िन्दगी को दो पहलू से जिया हरदम
आप वक़्त के चाहे जिस मोड़ पर बुलाइएगा

वक़्त इक आदत है जो बदल जाया करती है
आप आदतों के ऐसे बदलाव से बाज़ आइएगा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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