असरकार होगी मेरी मुहब्बत ज़रूर
मुट्ठी अपनी खोलेगी क़िस्मत ज़रूर
चुपके से आये थे तुम मेरी ज़िन्दगी में
मानी ये तुमसे होनी है सोहबत ज़रूर
माना गर्दिश में हैं सितारे अभी लेकिन
होगा ये वक़्त भी रुख़्सत ज़रूर
‘नज़र’ को है चाहत बस इक तुम्हीं से
करेगा मेरा रब मेरी मदद ज़रूर
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’