तेरी यादों से बढ़ती है बेक़रारी और
तुमको भुलाने से चढ़ती है खु़मारी और
खींचे हैं सर्द रातों तक धूप के कोने
आपकी तस्वीर लगती है प्यारी और
धुँधला-सा दिखता चाँद बादलों के पीछे
बोझ सीने पे रखती है साँस भारी और
तुमसे मिलके सुलझाऊँ मसले दिल के
तन्हाई करती है तरफ़दारी और
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’