क्या हुआ कि दिल तेरा बेग़ानावार हुआ
कुछ नहीं जीना और थोड़ा दुश्वार हुआ
जो भी हुआ अल्लाह की मरज़ी से हुआ
जाकर आज मुझे ख़ुदा का एतबार हुआ
हर दर पर सजदे बिछाती है मेरी आह
पर एक न मेरी आह से ख़ुदावार हुआ
बज़ा है सब वाइज़ की नसीहत ‘नज़र’
यह क्या हुआ कि तू गुनाहगार हुआ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३