मेरा चाँद है कहाँ, कहाँ है
क्या तू जानता है,
बता चाँद क्या तू जानता है…
होश है किसे अगर वो नहीं
मदहोश हूँ मैं अगर वो यहीं
अगर वो यहीं…
इक ख़ाब देखता हूँ बस एक ख़ाब
जिसे सच मानता हूँ वो है मेरा चाँद
मेरा चाँद है कहाँ, कहाँ है
क्या तू जानता है,
बता चाँद क्या तू जानता है…
यहाँ है कभी वहाँ है अभी
जो दूर वो दमकता है मेरा है वही
सितारों के बीच चमकता है
जो साँसों में महकता है
मेरा है वही मेरा चाँद है वही…
मेरा चाँद है कहाँ, कहाँ है
क्या तू जानता है,
बता चाँद क्या तू जानता है…
मंज़िलों की राहों को
हर कोई पहचानता है
ख़ाबों की राहों पर
मेरा दिल तुझे माँगता है
ज़िन्दगी है तू ज़िन्दगी चाहता है
मेरा चाँद है कहाँ, कहाँ है
क्या तू जानता है,
बता चाँद क्या तू जानता है…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२