बड़ा नाचीज़ है, यह दिल मेरा
फिर भी तुम्हारे लिए धड़कता है
बड़ा एहसाँ-फ़रामोश है, यह दिल मेरा
फिर भी तुम्हारे लिए तड़पता है
यह तुम्हारी मर्ज़ी है कि तुम मुझे
दिल दो या न दो
फिर भी वह मेरे लिए धड़कता है
क़रीब से गुज़र जाती हो
इक अजनबी की तरह
फिर भी वह मेरे लिए तड़पता है
देखा है तुम्हें, ख़ामोश रहती हो,
बोलती कुछ नहीं
अपने आप में खोयी रहती हो
कहती कुछ नहीं
है इंतिज़ार मुझे, कि कहोगी तुम
वही जो मेरे दिल में है
कोई तस्वीर कोई तस्व्वुर हो तुम
वही जो मेरे दिल में है
बड़ा नाचीज़ है, यह दिल मेरा
फिर भी तुम्हारे लिए धड़कता है
बड़ा एहसाँ-फ़रामोश है, यह दिल मेरा
फिर भी तुम्हारे लिए तड़पता है
हाय वह अदा तेरी
तेरे हुस्न की जादूगरी
कोई बेचारा क्यों न तुझ पर मरे
आशिक़ को दीवाना
दीवाने को शायर बना देती हो
फिर शायर कैसे न तुझ न मरे
हवाओं में ख़ुशबू तुम्हारी है
तेरे आने से रात कब घनेरी है
चाँद की तारीफ़ मैं करता नहीं
चाँद में भी चाँदनी तुम्हारी है
यह तुम्हारी मर्ज़ी है कि तुम मुझे
दिल दो या न दो
फिर भी वह मेरे लिए धड़कता है
क़रीब से गुज़र जाती हो
इक अजनबी की तरह
फिर भी वह मेरे लिए तड़पता है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२