बहुत शामीन है गिरता हुआ दिन
बहुत ग़मगीन हैं बीते हुए दिन
तुम कभी तो मुझसे कोई बात करो
उदासी है मेरे दिल में तेरे नाम की
मेरे नाम से अपना नाम जोड़ दो
और न ज़िन्दगी में काली रात करो
शायद कोई ख़लिश पुरानी होगी
फ़िल-हक़ीक़त कोई ग़म पुराना होगा
मैंने जो खोया है अभी इन आँखों से
क्या तुमने उसको पहचाना होगा
उदासी है मेरे दिल में तेरे नाम की
मेरे नाम से अपना नाम जोड़ दो
और न ज़िन्दगी में काली रात करो
जो आज मिला है उसका क्या भरोसा
ज़रूरी नहीं वह हमसे वफ़ा ही करेगा
हमने तो सदा वफ़ा करी तुमसे
हमें उम्मीद न थी तू बेवफ़ा ही रहेगा
बहुत शामीन है गिरता हुआ दिन
बहुत ग़मगीन हैं बीते हुए दिन
तुम कभी तो मुझसे कोई बात करो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२