आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जाता है
दिल को बहलावा नहीं दर्द दिया जाता है
दर्द जो है इश्क़ में वह ही ख़ुदा है सबका
दर्द के पहलू में यार को सजदा किया जाता है
आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जाता है…
तुम याद आ रहे हो और तन्हाई के सन्नाटे हैं
किन-किन दर्दों के बीच ये लम्हे काटे हैं
अब साँसें बिखरी हुई उधड़ी हुई रहती हैं
हमने साँसों के धागे रफ़्ता-रफ़्ता यादों में बाटे हैं
आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जाता है…
इस जनम में हम मिले हैं क्योंकि हमें मिलना है
तुम्हारे प्यार का फूल मेरे दिल में खिलना है
दूरियाँ तेरे-मेरे बीच कुछ ज़रूर हैं सनम
मगर यह फ़ासला भी एक रोज़ ज़रूर मिटना है
आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जाता है…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
10 replies on “आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जाता है”
और मैं इससे महसूस करने की कोशिश कर रहा हूं।
bahut hi sunder,mehsu ho jaati hai dil ko.
इस जनम में हम मिले हैं क्योंकि हमें मिलना है
तुम्हारे प्यार का फूल मेरे दिल में खिलना है
दूरियाँ तेरे-मेरे बीच कुछ ज़रूर हैं सनम
मगर यह फ़ासला भी एक रोज़ ज़रूर मिटना है
Aap ke iis gazal me “pyar ke anubhuti” bhi hain vinay ji bahut sundar
bahut sunadar geet hai.
आप सभी पाठकों का सह्रदय धन्यवाद
isk me mehsoos koi reet nahi hoti
sanam ho samne to kimti koi cheej nahi hoti
dil ki adalat me muqadma hai isk ka
faisla me dard ki kabhi jeet nahi hoti
आँखों की ख़ुशबू को छुआ नहीं महसूस किया जा isk me mehsoos koi reet nahi hoti
sanam ho samne to kimti koi cheej nahi hoti
dil ki adalat me muqadma hai isk ka
faisla me dard ki kabhi jeet nahi hoti ASHOK DUHAN PETWER HARYANA
beautiful poem Vinay.. This is your 1st poem that I read.. it is beautiful.
WELCOME 🙂
Thanks, Deepak ji!