फ़िराक़ को अजल विसाल को जीवन जाना
यह कि झूठ को सच मतलब को मन जाना
वहम की धूल जब गिरी पलकों से
हमने सच और झूठ का सारा फ़न जाना
आँखों से आपकी तस्वीर उतारी न गयी
हमने शबो-रोज़ चाँद को रोशन जाना
जिस्म ख़ाहिशमंद था रूह सुलगती थी
हमने बुझते बादलों को सावन जाना
हम भी शाइरी के फ़न सीखने लगे ‘नज़र’
जबसे जन्नतो-जहन्नुम का चलन जाना
फ़िराक़= separetion, अजल=death, fate, विसाल=meeting
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
2 replies on “फ़िराक़ को अजल विसाल को जीवन जाना”
अच्छा है भाई. बधाई.
@ MEET, Thanks!!