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मेरा गीत

हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं

हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से
अब बात नहीं बनती है तेरी यादों से
इतनी दूरी क्यों है, यह मजबूरी क्यों है
इसका जवाब दो तुम इसका जवाब दो
यह जुदाई क्यों है यह रुसवाई क्यों है
इसका जवाब दो मुझे इसका जवाब दो

यह दिल मेरा तेरी मोहब्बत चाहता है
वह दिल तेरा मेरी मोहब्बत चाहता है
इस मुश्किल से थोड़ी राहत चाहता है

हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से
अब बात नहीं बनती है तेरी यादों से

ख़ाहिश है तू मेरी, जन्नत है तू मेरी
इस दुनिया में सबसे सुन्दर है तू ही
नीले आकाश में जैसे उड़ता बादल है
नील आँखों में जैसे सजता काजल है
कुछ यूँ मेरे दिल के अन्दर है तू ही
मेरी सजनी तू नील समन्दर है तू ही

हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से
अब बात नहीं बनती है तेरी यादों से

तुम मेरे जीवन में फिर आ जाओ
तुम मुझे एक बार अपना कह जाओ
फिर जो बोलोगे तुम हम कर जायेंगे
फिर तुम बोलोगे तो हम मर जायेंगे
पर ऐसी ज़िन्दगी हम न जी पायेंगे
तन्हा साँसें ले‍गें हम तन्हा मर जायेंगे

हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से
अब बात नहीं बनती है तेरी यादों से
इतनी दूरी क्यों है, यह मजबूरी क्यों है


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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