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मेरी नज़्म

इक तरफ़ वह इक तरफ़ हम

इक तरफ़ वह इक तरफ़ हम
बीच में यह फ़ासले
इश्क़ की डोर से
हमने जो बाँधे बन्धन
क्या ख़बर उन पर गींठ लगी भी

इश्क़ के दायरे में खड़े
मगर वह साथ नहीं
पल-पल बन रहा है कल
क्या ख़बर वह हमसे मिलेंगे भी

इक तरफ़ वह इक तरफ़ हम
बीच में यह फ़ासले
इश्क़ का असर है इधर
दिल हमारा गुमसुम है
क्या ख़बर उन पर असर हुआ भी

इश्क़ में न मिले मौत
और हम ज़िन्दा भी नहीं
आती-जाती है वह रोज़
क्या ख़बर वह फ़िरोज़ मिलेगी भी

इक तरफ़ वह इक तरफ़ हम
बीच में यह फ़ासले
इश्क़ में निभाते हैं हम
रात का सुबह से जो बन्धन
क्या ख़बर वह यह हालात जानते भी

इश्क़ का है यह दस्तूर
क्या वह यह समझते भी
कुछ नहीं है इस बात का हल
क्या ख़बर वह जो हल है मिलेगा भी

इक तरफ़ वह इक तरफ़ हम
बीच में यह फ़ासले…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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