इश्क़ क्या हमको मारेगा, हम इश्क़ को मारेंगे
अब तलक क्या हारे हैं उससे, जो अब हारेंगे
जाओ कह दो शायरे-मुक़ाबिल से हम भी मैदाँ में हैं
वह क्या कहेगा शे’र, हम ज़बाने-लहू को तराशेंगे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
इश्क़ क्या हमको मारेगा, हम इश्क़ को मारेंगे
अब तलक क्या हारे हैं उससे, जो अब हारेंगे
जाओ कह दो शायरे-मुक़ाबिल से हम भी मैदाँ में हैं
वह क्या कहेगा शे’र, हम ज़बाने-लहू को तराशेंगे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
4 replies on “इश्क़ क्या हमको मारेगा”
जाओ कह दो शायरे-मुक़ाबिल से हम भी मैदाँ में हैं
वह क्या कहेगा शे’र, हम ज़बाने-लहू को तराशेंगे
aafarin,wah tuk bandi ho to aise,ishq se hi lad baithe,awesome.
shukriya!
isq marta nahin jilata hai
isq harata nahi jitata hai
इश्क़ क्या हमको मारेगा, हम इश्क़ को मारेंगे
अब तलक क्या हारे हैं उससे, जो अब हारेंगे
जाओ कह दो शायरे-मुक़ाबिल से हम भी मैदाँ में हैं
वह क्या कहेगा शे’र, हम ज़बाने-लहू को तराशेंगे
Cool…