एक ख़ुशबू जाने कहाँ से आयी है
कुछ दिनों से दिल पर छायी है
शायद, शायद ऐसा तब लगता है
जब प्यार किसी से होता है
ख़ाबों में जाने कौन आने लगा है
रातों को नींदें चुराने लगा है
शायद, शायद ऐसा तब होता है
जब प्यार किसी से होता है
जब से वह ख़ाबों में आया है
दिल बेचैन रहने लगा है
उसको सामने हर पल देखने को
दिल बेताब रहने लगा है
शायद, शायद ऐसा तब लगता है
जब प्यार किसी से होता है
अन्जाना नहीं जाना-पहचाना है
सपना है उसको अपना बनाना है
शायद, शायद ऐसा तब होता है
जब प्यार किसी से होता है
अब वह मेरी मंज़िल बन गयी
अब वह मेरा सपना है
वह दिल की धड़कन बन गयी
अब वह मेरी तमन्ना है
शायद, शायद ऐसा तब लगता है
जब प्यार किसी से होता है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९