जब वक़्त बदले और तुम नहीं
तब मुझे इक ख़त मेरी जान लिखना
आँखों की गर्द जब आँसुओं के साथ उतरे
तुम मेरे दिल को बेजान लिखना
जब दर्द दबे हुए ज़ख़्म कुरेदे
सूखे पत्तों में लौट आयी जान लिखना
लफ़्ज़ों के नश्तर आँखों की आँच को
हमसे दोस्ती का सामान लिखना
जब तैरे आँखों में काई का मौसम
तुम खु़द को हमसे अंजान लिखना
जब तुम्हें इक झूठा सच परेशाँ करे
तुम मेरे प्यार को एहसान लिखना
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’