कभी दर्द की बात करते हो
कभी ज़िन्दगी की
कभी एहसाँ की बात करते हो
कभी बंदगी की
कोई ख़ाब था, लेकिन…
हाँ ख़ाब ही होगा
क्योंकि ज़हर पीकर भी
बिसरी नहीं है महक फूलों की
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००
कभी दर्द की बात करते हो
कभी ज़िन्दगी की
कभी एहसाँ की बात करते हो
कभी बंदगी की
कोई ख़ाब था, लेकिन…
हाँ ख़ाब ही होगा
क्योंकि ज़हर पीकर भी
बिसरी नहीं है महक फूलों की
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००