कभी हम मौसम थे
कभी ख़ुद मौसम था
सावन की चाह में
इक सावन मिला
तो दूसरा गया
आजकल अकेला हूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००-२००१
कभी हम मौसम थे
कभी ख़ुद मौसम था
सावन की चाह में
इक सावन मिला
तो दूसरा गया
आजकल अकेला हूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००-२००१