कोई बुला रहा है,
हमको जाना होगा
उसकी दो आँखों में,
मेरा आशियाना होगा
पलकों पे दो ख़ाब होंगे
एक उसका होगा
एक मेरा होगा
जब दोनों मिलेंगे
चाँद जलता होगा
सौंधा-सौंधा सवेरा होगा
बैठेंगे जब
उन चट्टानों पर
जिन पर
लहरें आती होंगी
ढलती हुई शामें होंगी
और मेरे काँधे पे
सिर उसका होगा…
हल्के-हल्के
नर्म-नर्म
ख़ाब रोज़ देखेंगे
जब मेरे हाथों में
हाथ उसका होगा…
कोई बुला रहा है
हमको जाना होगा…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२