मैं सबसे बुरा था
सबसे बुरा हूँ
सबसे बुरा ही रहूँगा
मैं जी रहा था
जी रहा हूँ
ऐसे ही जीता रहूँगा
उसने मुझको सदा ख़ुशबू के
इक बादल के पार देखा
और मैं चाह कर भी कभी
उसको इस तरह न देखूँगा
मैं सबसे बुरा था
सबसे बुरा हूँ
सबसे बुरा ही रहूँगा
आईने उसकी आँखों के
मुझको ढूँढ़ते रहे, जाने क्यों?
और मैं अक्स उन आईनों का
कभी भी न बनूँगा…
मैं जी रहा था
जी रहा हूँ
ऐसे ही जीता रहूँगा
इक मतलब ही तो है
मुझसे जुड़ता हर नया रिश्ता
और मैं ऐसे रिश्तों से कभी
कोई जज़्बात न रखूँगा…
मैं सबसे बुरा था
सबसे बुरा हूँ
सबसे बुरा ही रहूँगा
हर शै पर हुक़ूमत करना
मेरी सबसे बुरी आदत है
और मैं अपनी यह आदत
जानकर भी न बदलूँगा…
मैं जी रहा था
जी रहा हूँ
ऐसे ही जीता रहूँगा
अच्छा या बुरा जो भी समझो
यह तुम्हारी अपनी सोच है
और मैं किसी के लिए
ख़ुद को कभी न बदलूँगा…
मैं सबसे बुरा था
सबसे बुरा हूँ
सबसे बुरा ही रहूँगा
वह किसी ग़ैर के पास जाता है
तो चला जाये, बेपरवाह!
और मैं उसके बेवफ़ा रुख़ का
कभी अफ़सोस न करूँगा…
मैं जी रहा था
जी रहा हूँ
ऐसे ही जीता रहूँगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
4 replies on “मैं सबसे बुरा था”
वह किसी ग़ैर के पास जाता है
तो चला जाये, बेपरवाह!
और मैं उसके बेवफ़ा रुख़ का
कभी अफ़सोस न करूँगा…
मैं जी रहा था
जी रहा हूँ
ऐसे ही जीता रहूँगा
kya baat hai……par aapke blog par click karne ke baad aapk i recent post pahle aani chahiye vo nahi aati………is karan kai baar aakar chala gaya.
anurag ji, nayi posts blog ke sidebar mein गीली स्याही Recent posts section mein dikh jaati hain, isliye main page par nahi dikhata… well main wordpress service ko blog se zyada diary ki tarah use karta hoon.
thanks!
” oh ab itna bura hone kee baat khan se aa gyee”और मैं उसके बेवफ़ा रुख़ का
कभी अफ़सोस न करूँगा ” touching painful words”
@ Seema Ji, thanks for appreciation! aur haan aapke prashn ka uttar main personal e-mail mein likhonga thanks again!