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मेरा गीत

मेरा माहताब…

मेरा माहताब जिसे देखा दिल हुआ बेताब
मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
जिसे देखा दिल हुआ बेताब
जिसे देखा दिल हुआ बेताब
जिसे देखा देखा देखा दिल हुआ बेताब
मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
सुलगता सुलगता हुआ ख़ाब
खिला खिला महकता हुआ गुलाब

मेरा माहताब जिसे देखा दिल हुआ बेताब
मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
शुक्रगुज़ार है दिल और मैं
शुक्रगुज़ार है दिल और मैं
निगाहों में भर आये अपने सारे ख़ाब नये
निगाहों में भर आये आये आये आये
अपने सारे ख़ाब नये

रंग भर गये ज़िन्दगी के गुलों में गुलों में
ऐ दिल मिल के सोचे क्या हैं अपनी ख़ाहिशें
ज़रा-ज़रा-सी दिक़्क़तें आती हैं
हर किसी के रास्ते, हर किसी के रास्ते

मेरा माहताब मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
जिसे देखा दिल हुआ बेताब
मेरा माहताब, मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
जिसे देखा देखा देखा दिल हुआ बेताब
सुलगता सुलगता हुआ ख़ाब
खिला खिला महकता हुआ गुलाब
मेरा माहताब, मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब

मिलता नहीं क्या नाम है
मिलता नहीं क्या नाम है
खोंदी हमने कितनी परतें कितनी पत्थरें
मिल जायें तो पूछें उनसे
मिल जायें तो पूछें उनसे क्या नाम है?
मिलता नहीं मिलता नहीं क्या नाम है?
आते-जाते जाते-आते
आते-आते जाते-जाते
दिन कितने बीते, बीते…
उसके बिना ज़िन्दगी आये  न मौताँ

मेरा माहताब जिसे देखा दिल हुआ बेताब
मेरा मेरा मेरा मेरा माहताब
जिसे देखा दिल हुआ बेताब
सुलगता सुलगता हुआ ख़ाब
खिला खिला महकता हुआ गुलाब
मेरा माहताब…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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