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मेरी नज़्म

मेरी ज़िन्दगी में भीड़ बहुत थी

मेरी ज़िन्दगी में लोग बहुत थे
भीड़ बहुत थी
दूर तलक चादर थी धूप की
न शज़र न दरख़्त
दूर तक कोई साया न था

जिसकी ख़्वाहिश थी मुझे
एक वही न था
मेरी ज़िन्दगी में लोग बहुत थे…

साँस जैसे हलक़ से नीचे उतरती न थी
दिल जैसे धड़कता न था
सूखी हुई आँखों में रेत का दरया था

तस्वीरें बनाता था मैं
आँधियाँ जिनको मिटाती थी
था जिनसे मैं वाबस्ता
मगर वो मुझसे न थीं

मेरी ज़िन्दगी में भीड़ बहुत थी
लोग बहुत थे…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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