शाम हसीं और मैं तन्हा
आँखों में भर आया यादों का धुँआ
बिन मंज़िल रस्ते रुक गये
हासिल मुझको कुछ न मिला
दिल की नाक़ामी और नासाज़ी का
ताचन्द मुझको हैफ़ रहा
खु़शबू-खु़शबू तुमको ढूँढ़ा
दिल में एक गुलिस्तान रहा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
शाम हसीं और मैं तन्हा
आँखों में भर आया यादों का धुँआ
बिन मंज़िल रस्ते रुक गये
हासिल मुझको कुछ न मिला
दिल की नाक़ामी और नासाज़ी का
ताचन्द मुझको हैफ़ रहा
खु़शबू-खु़शबू तुमको ढूँढ़ा
दिल में एक गुलिस्तान रहा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’