वह तो कमाल है, इक वबाल है
ज़ुल्फ़ों में जिसकी रेशमी रूमाल है
हाए! पलटकर देखे’ क्यों न वह
कोई बताये उसको जो मेरा हाल है
क्या रूप है क्या रंग है कैसे कहूँ
क्या अदा है क्या नशा है कैसे कहूँ
वह तो कमाल है, इक वबाल है
ज़ुल्फ़ों में जिसके रेशमी रूमाल है
वह तो शमअ है दीवानों की जाँ है
वह दिल की धड़कन, मेरा जहाँ है
उसकी इक झलक से पागल हुआ
मैं पहली नज़र में ही घायल हुआ
हाए! पलटकर देखे’ क्यों न वह
कोई बताये उसको जो मेरा हाल है
मैंने उसको अपना ख़ुदा बनाया है
दिन, रात, दोपहर, दुआ बनाया है
हर किसी को ठुकरा के दुनिया में
अपने दिल में उसको बसाया है
हाए! पलटकर देखे’ क्यों न वह
कोई बताये उसको जो मेरा हाल है
वह तो कमाल है, इक वबाल है
ज़ुल्फ़ों में जिसकी रेशमी रूमाल है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २९ मई २००३