गुनचे चाँदनी देखकर मुस्कुराने लगे
महक उठी रिदा यह चाँदनी की…
शबनमी रात और भी हसीन हो गयी है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
गुनचे चाँदनी देखकर मुस्कुराने लगे
महक उठी रिदा यह चाँदनी की…
शबनमी रात और भी हसीन हो गयी है
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३