ज़िन्दगी का मतलब मैंने भुला दिया है
यार ने मेरे मुझे बेसहारा किया है
I feel myself deserted…(2)
अकेली हूँ हर पल मेरा कोई नहीं है
मैं हूँ यहाँ पर मेरा दिल कहीं है
I feel myself deserted…(2)
तूने मुझसे धोखा किया है
दिल लेके मेरा तोड़ दिया है
क्या बताऊँ मैं क्या मुझको हुआ है
यार ने मेरे मुझको बेसहारा किया है…
I feel myself deserted…(2)
कहानी मेरी मिटा दी है मैंने
ज़िन्दगी मेरी जला दी है मैंने
I feel myself deserted…(2)
कलियों के रंग धुल-से गये हैं
पेड़ों से पत्ते गिर भी गये हैं
पतझड़ का मौसम आके ठहरा हुआ है
यार ने मेरे मुझे बेसहारा किया है…
I feel myself deserted…(2)
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२