तुम जो गये फिर नहीं आये
ख़ुश्क आँखों को दिल कैसे रुलाये
शाम होते ही चाँद आ जाता है
उसे देख कर दिल तुम्हें बुलाये
जब भी यारों से कहीं मिले
उन्हें तेरे हुस्न के जल्वे सुनाये
शायद एक ही बार मिले होंगे
फिर भी दिल से तेरी याद न जाये
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२