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मेरी ग़ज़ल

दर्द किस तरह से बढ़ता है

दर्द किस तरह से बढ़ता है दिल में कोई हमसे पूछे ज़रा
दर्द कैसा महसूस होता है कोई हमसे पूछे ज़रा

एक बात होती तो कहते भी मैं उतरा नहीं उसपे ख़रा
मैं कभी रास्तों से दूर हूँ कभी इन सरहदों पे खड़ा

शाम ही से नज़रें बिछा देता हूँ दरवाज़े से कोई नहीं गुज़रा
सहर पे देखा था उसे इन आँखों से वह नहीं उतरा

एक बार वो आये थे मेरे यहाँ और पानी भी था बरसा
मंज़र वो हसीं आज भी आँखों में है उतना ही हरा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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