थोड़ा-सा है थोड़ा कुछ’ नहीं भी
ऐसा लगता है तुम पास हो भी’ नहीं भी
नीले बादलों से बरसी हैं छोटी-छोटी बूँदें
आज चाँद निकला भी’ नहीं भी
किनारे तक लहरें आयीं तो थीं
पर पत्थर से ख़ाब फिसला भी’ नहीं भी
भीगा हुआ अश्कों से टूटा हुआ रिश्तों से
वह आज मिला भी’ नहीं भी
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२